Aparna Sharma

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लेखनी कहानी -#१५ पार्ट सीरीज चैलेंज पार्ट -15

#15 पार्ट सीरीज चैलेंज 


महादेव शिव शंकर की कथाओं में निहित ज्ञान और प्रामाणिकता 
पार्ट - १५ 
 
*प्रथम पूज्य श्री गणेश*

महादेव पार्वती का विवाह हुए एक अरसा हो गया था ! 
कार्तिकेय दक्षिण में था !
महादेव अपने ध्यान तप में कभी कभी इतना लीन रहते कि सालों समाधि में रहते !
वैसे तो नंदी , भृंगी ,श्रंगी आदि गण पार्वती का ध्यान रखते मनोरंजन करते परन्तु फिर भी पार्वती को लगता कि एक बच्चा होता जिसके पीछे सारा दिन भागती , कुछ कुछ बनाती खिलाती ! 

पर बोले भी तो किससे ?
महादेव तप में बैठे थे, उसने सोचा " मैं भी अपना वक्त सार्थक करती हूँ! जब तक महादेव ध्यान में बैठे हैं मैं भी उनके नाम का जाप कर उन्हें प्रसन्न करती हूँ और उठने पर तुरंत पुत्र का वरदान मांग लूंगी ! मैंने हजारों साल तप कर महादेव को पाया है तो अब एक बार और! " 
वह गणों को आदेश दे कि वह तप कर रही है उसे कोई परेशान न करे, ध्यान में बैठ गयी !
१२ वर्ष बाद महादेव शंकर तप से बाहर आये ! 
पार्वती को अत्यंत प्रेम से देखते हुए बोले -" पार्वती , इस तरह सालों से मेरे नाम का जप क्यों कर रही हो ? मैं तुम्हें मिल तो गया अब क्या चाहिए ? " 
" नाथ आप तो बरसों ध्यान में बैठे रहते हैं मैं किससे बात करुं ?" पार्वती ने कपोल लाल करते हुए रूठते हुए कहा ! 
महादेव खिलखिला कर हंस दिए ! " प्रिये मुझे ब्रह्मांड के एक एक जीव के तीनों कालों का ज्ञान रखते हुए कर्मों के आधार पर उनका आगे का जीवन देना होता है! बहुत दुरूह कार्य है!  
तुम्हें तो विवाह से पहले ही पता था कि मैं ईश्वर हूं मेरे कार्य संसार की कर्म गति को सुधारना , बनाना , मुक्ति देना और संहार करना है। " 
" हां ,नाथ परन्तु मेरे एकाकीपन को दूर करने के लिये आपसे एक पुत्र की कामना करती हूँ!"
" पार्वती संसार का कार्य भार मेरे ऊपर है। इतना समय नहीं कि एक संतान के जन्म हेतु पांचों तत्वों को एकत्रित करूं ! एक काम करो ,तुम सर्व गुण संपन्न हो, एक गुड्डे का निर्माण मिट्टी द्वारा करना , मैं तुम्हें उसमें प्राण फूंकने की विधि और मंत्र सिखा देता हूँ l प्राण फूंकने पर वह बालक जीवित हो जाएगा! "
महादेव ने पार्वती को निर्जीव में जान डालने की कला सिखाई ! 
और पुन: समाधि में चले गए! 

अगले दिन स्नान से पूर्व पार्वती मुल्तानी मिट्टी और हल्दी का उबटन लगा रही थी , उसने अपने शरीर पर लगे उबटन से एक गुड्डे का निर्माण किया और महादेव के बताएनुसार उसमें प्राण फूंक दिए! वह बालक जीवित हो गया!  
पार्वती ने उसका नाम गणेश रखा , वह मातृ भक्त और बेहद आज्ञाकारी था ! 
बहुत गोल-मटोल और पेटू भी था ! 
*दस वर्ष पश्चात*
एक दिन पार्वती स्नान करने गयी ! गणेश को कह गई कि किसी को भी अंदर नही आने देना ! 
तभी लम्बी तपस्या के पश्चात महादेव शंकर घर लौटे , गणेश ने उन्हें द्वार पर रोक दिया -" मेरी माँ स्नान कर रही है आप अंदर नहीं जा सकते !"
" लेकिन पुत्र मैं तुम्हारा पिता हूं तुम मुझे पहचान नहीं रहे हो " 
गणेश ना महादेव पर विश्वास कर रहे थे ना पहचान रहे थे! नंदी व अन्य गणों के समझाने बताने पर भी जिद पर अड़ा था और मां ने मना किया है बस यही बोल रहा था! 
लम्बी तपस्या के बाद महादेव बहुत भूखे और थके हुए थे , विश्राम करना चाहते थे!  
पर जब गणेश युद्ध पर उतारू हो गया और महादेव पर अस्त्र उठा लिया तो महादेव को क्रोध आ गया -" मेरा ही पुत्र होकर मुझ-पर अस्त्र उठा रहे हो? इतना अहंकार? मुझे अपने पिता को पहचान नहीं रहे ? 
बड़े छोटे का ज्ञान तक नहीं ?? तुम्हारे अहंकार का नाश करना होगा , कहकर महादेव ने त्रिशूल से गणेश की गर्दन काटकर दूर अंतरिक्ष में फेंक दी ! 
तभी पार्वती नहाकर लौटी और पुत्र की गर्दन कटी देख पहले विलाप करने लगी फिर महाकाली बन गई, महादेव से पुत्र को जीवित करने के लिये कहने लगी!  
शंकर ने पार्वती का मातृत्व देखा तो एक हाथी के बच्चे की गर्दन उसे लगाकर जीवित कर दिया!  
गणेश ने पिता के पैर छुए !
पार्वती ने गणेश के ऐसे रूप पर दुख व्यक्त किया तो महादेव बोले -" तुम्हारा वह अहंकारी पुत्र कभी पूज्य नहीं होता ! आज के बाद हर कोई ये समझेगा कि इंसान रूप से नहीं गुणों और कार्यों से महान बनता है।" 

एक दिन कार्तिकेय सबसे मिलने आया ! खेल खेल में दोनों में बहस होने लगी -" मैं बड़ा हूँ! " 
महादेव पार्वती सामने बैठे सब सुन रहे थे!  

" जो सबसे पहले सारे संसार का चक्कर लगाकर वापस आएगा वही बड़ा कहलाएगा ! " 
पार्वती ने प्रश्न सूचक दृष्टि से महादेव की ओर देखा ! 
महादेव ने इशारे से कहा " बस देखती जाओ !" 
कार्तिकेय तुरंत मोर पर बैठकर संसार का चक्कर लगाने निकल पड़े किंतु गणेश वहीं खड़े रहे ! 
धीरे से अपने मूषक से उतरे और माता पिता की सात प्रदक्षणा कर उनके आगे हाथ जोड़कर बैठ गये!  
कार्तिकेय लौटे तो गणेश बोले " मेरे माता पिता ही मेरा संपूर्ण संसार है। उनके चरणों में ही चारों धाम हैं !" 
महादेव ने कहा -" गणेश को आज मैं न सिर्फ बुद्धि का देवता घोषित करता हूँ बल्कि *प्रथम पूज्य गणपति* की उपाधि भी देता हूँ!  
जो बुद्धि और ज्ञान में बड़ा वही सबसे बड़ा ! 

 संपूर्ण शिव परिवार में गणेश और कार्तिकेय का समावेश आवश्यक है। 

*ज्ञान* :- १) इंसान यदि अपने क्रोध और अहंकार को खत्म कर ले तो पूज्य हो जाता है। 
२) व्यक्ति बुद्धि और ज्ञान से बड़ा माना जाता है उम्र से नहीं!  

*प्रामाणिकता* :- 
१) अष्ट विनायक गणपति दर्शन के लिए जाते हैं तो वहां लेण्यांद्रि पहाड़ी पर वह गणपति मंदिर स्थित है जहां पार्वती ने गुफा़ में १२ साल तक तपस्या कर प्राण फूंकना सीखा !
अष्ट विनायक गणपति मंदिर में से ही एक प्राचीन मंदिर की गुफ़ा में पार्वती तप करती थी, दूसरी गुफ़ा में उन्होंने उबटन के गणेश निर्मित किए थे फिर प्राण प्रतिष्ठा की थी ! 

15 पार्ट महादेव शिव की कहानियों और ज्ञान के लिए बहुत कम हैं ! 
शिव समुद्र की तरह अथाह हैं और उनका ज्ञान भी !🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 

🕉️नम: शिवाय 🕉️
हर हर महादेव 🌿🔱

अपर्णा गौरी शर्मा

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2 Comments

Abhilasha Deshpande

05-Jul-2023 03:07 AM

जय शिव शंकर । बहोत बढिया लिखा आदरणीया

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वानी

16-Jun-2023 07:08 PM

Nice

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